अवध मे राम आए है लैरीकस

सजा दो घर को गुलशन सा
अवध मे राम आये है

अवध मे राम आये है
मेरे सरकार आये है

लगे कुटिया भी दुलहन सी
अवध मे राम आये है

सजा दो घर को गुलशन सा
अवध मे राम आये है।।धृ।।

पखारो इनके चरणो को
बहा कर प्रेम की गंगा2

बिछा दो अपनी पलको को2
अवध मे राम आये है।।1।।

'तेरी आहट से है वाकिफ
नही चेहेरे की है दरकार
बिना देखे ही कह देंगे
लो आ गए है मेरे सरकार
दुआ ओ का हुआ है असर
अवध मे।   ।।2।।

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